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काव्य : नारी मन - डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल


 काव्य : 

नारी मन


बन्द हों कभी भले, उसके नयन 

देख लेता सब है, ये नारी मन

हर स्पर्श और भाषा पहचानता

उसकी उड़ान भी होती,ज्यों गगन


असीमित होता, उसका विस्तार

मस्तिष्क के खुले रहते, सभी द्वार

नारी की संवेदना,प्रेम,करुणा

त्याग,निष्ठा सब ही होते,अपार 


नारी ऊर्जा का, सतत स्रोत है

संस्कार व प्रगति में भी ,अग्रिम वह

समसामयिक है,खुले दिमाग की भी

*ब्रज*,है समाज और देश गौरव भी वह


 - डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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