नशा भौतिक वस्तुओं का नहीं, जीवन लक्ष्य पाने का हो: युवराज स्वामी
संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का तृतीय दिवस
भक्ति और दृढ़ विश्वास से हर बुराई का अंत संभव सिखाता है प्रहलाद चरित्र
इटारसी। वर्तमान में मनुष्य मदिरा, मद्यपान, तंबाकू जैसे विभिन्न प्रकार की व्यसन वस्तुओं के नशे में चूर है। आजकल कुछ इस प्रकार का ट्रेंड चल रहा है कि अगर आप व्यसन या नशे की चीज नहीं लेते हैं तो आप जमाने के साथ नहीं चल रहे हैं। आप पिछड़े हुए और छोटी सोच के व्यक्ति हैं। नशा करना आजकल फैशन बन गया है और यही बात समाज को गर्त में ले जाएगी। हमें इन सब चीजों से ऊपर उठकर, व्यसन की वस्तुओं का त्याग कर, सात्विक जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। अपने मित्र, बंधुओं और परिवार जनों सहित उन सभी लोगों को व्यसन के दुष्परिणाम से जागरूक करके उन्हें इन वस्तुओं को त्यागने के लिए प्रेरित करना चाहिए। जीवन में नशा अपना जीवन को लक्ष्य ढूंढने ओर उसे प्राप्त करने का होना चाहिए। उक्त उदगार श्रीमती मनोरमा देवी गुप्ता एवं परिवार बेंगलुरु द्वारा सरला मंगल भवन में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर व्यासपीठ पर विराजे श्री श्री 1008 युवराज स्वामी रामकृष्णाचार्य जी महाराज ने व्यक्त किए।
स्थिति दिवस की कथा में व्यास पीठ से युवराज स्वामी जी ने अजामिल कथा एवं प्रहलाद चरित्र विस्तार से सुनाया। उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप, जो भगवान विष्णु का विरोधी था, ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से दूर करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन प्रह्लाद अपनी अटूट भक्ति पर अटल रहा। अंत में, भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध करके प्रह्लाद की रक्षा की। प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे और उन्होंने हमेशा भगवान की भक्ति में लीन रहे, चाहे उनके पिता हिरण्यकश्यप कितने भी क्रोधित क्यों न हों। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, जैसे उसे पहाड़ से फेंकना, आग में जलाना, और जहरीले सांपों से कटवाना। लेकिन फिर भी प्रहलाद की भक्ति में कमी नहीं आई। प्रह्लाद चरित्र हमें सिखाता है कि भक्ति और दृढ़ विश्वास के साथ, हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि बुराई हमेशा हारती है और अच्छाई की जीत होती है। इस अवसर पर रमेश चांडक, सतीश बांगड़, श्रीकांत मोलासरिया, अर्पण माहेश्वरी, नितिन अग्रवाल, विपिन चांडक सहित अन्य भागवत गोष्ठी सदस्य सेवा में।उपस्थित रहे।