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हिंदी उर्दू साहित्यिक संस्था समर्पण की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ


 

हिंदी उर्दू साहित्यिक संस्था समर्पण की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ

मुजफरनगर।  हिंदी उर्दू साहित्यक संस्था समर्पण की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन  डॉक्टर सहदेव सिंह आर्य जी के साकेत मेन रोड, केंद्र पर हुआ । काव्य गोष्ठी का प्रारंभ सुशीला शर्मा की सरस्वती वंदना तथा तहसीन कमर असारवी की नाते पाक से हुआ।

गोष्ठी की अध्यक्षता ईश्वर दयाल गुप्ता ने व संचालन डॉक्टर आस मोहम्मद अमीन  ने किया । आज की गोष्ठी के मुख्य अतिथि तहसीन अली असारवी रहे।

काव्य गोष्ठी में शायरों एवं कवियों द्वारा पढ़ा गया कलाम इस प्रकार है।

*ईश्वर दयाल गुप्ता*

जिंदगी ऐसे जैसे काज बिना बटन के।

कि जैसे सारंगी बिना साज़ बिना भजन के।।

*अब्दुल हक़ सहर*

बारूद नफ़रतों की फ़िज़ाओं में छोड़ कर,

इंसां बना रहा है क़यामत के दायरे


*योगेंद्र सोम*

फिर हुई शाम चरागों के लिए।

फ़िर वही जाम इरादों के लिए।।


*आस मोहम्मद अमीन*

ग़म से था लबरेज मेरा दिल मगर।

आंख से आंसू मगर टपका न था।।


*तहसीन कमर असारवी*

हम बजाहिर तो अपने घर में रहे।

उम्र गुज़री है कैद खाने में।।


*रामकुमार रागी*

तूने और मुझसे क्या सवाल रखा है

तू बता आस्तीन में क्या पाल रखा है।।


*कमला शर्मा*

कर्म सदा रहे साक्षी।

जाने है सब कोई।

फ़िर भी मूर्ख आदमी

बीज बदी का बोए।।


*सहदेव सिंह आर्य*

इक चिराग जलाकर - उठा दो चिलमन, झूकाकर पलके ।

बगावत दिवानों से दिलों की दिवानों के देखो ।। उठाकर खंजर क्यूं बदनाम होते हो ।   


*सुशीला शर्मा*

प्रिय !जीवन है संगीत लिखो

जन जन के उर की प्रीत लिखो

झंकृत कर दे जो मन वीणा

ऐसा कोई मृदु गीत लिखो


*विजया गुप्ता*

उम्र के इस पड़ाव पर कोई हमें पुकार ले

हाथ बढ़ाकर थाम ले,नेह से निहार ले।।

    

*सलामत राही*

दुनियां ने जिस जमीन पर कांटे उगाए है।

उल्फ़त के फूल हमने वहां उगाए है।

*कर्म वीर सिंह*

अपने जीवन में कभी मत मानो तुम हार !

हानि-लाभ जीवन-मरण ईश्वर का उपहार। ।


*समीर कुल श्रेष्ठ*


तुच्छ पाक को जानिये , चलता कपट कुचाल।

जैसे खरहा खोल में ,

छिपा विषैला व्याल।।


*सुशील सिंह*

जैसा भी हूं मैं वैसा ही रहूंगा।

चेहरे पे चेहरे लगाना मैने अभी तक नहीं सीखा।


*लईक अहमद*

जमाने से कह दो 

नहीं मिट सकेगा फसाना हमारा


*नीशू सूफी*

ना वो मौसम रहा ना वो हम रहे।

बिना पतझड़ के सूखे पत्तों में कहां दम रहा।।


*अंजली उत्तरेजा गुप्ता*

मुजफ्फरनगर की पगडंडी पे किस्से बीते कल के।

हर ईंट हर दीवार यहां की संघर्षों की गाथा गाते।


*टिमसी ठाकुर*

अनजानी राहो को दो पक्षी जा रहे थे।

हल्की बारिश की बूंदों में भीगते तो।


*सुनीता सोलंकी*

तेरे आने का इक सिलसिला रह गया 

दिल धड़कता रहा फ़ासला रह गया ।।

      रचनाकारों की उपस्थिति कुछ इसप्रकार रही- नवांकुर कवि कवयित्री- दिग्गज सिंह सूफी ,अंजली उत्तरेजा, टिमसी ठाकुर, वरिष्ठ कवियों में - ईश्वर दयाल गुप्ता, महबूब आलम एडवोकेट ,रामकुमार रागी , अब्दुल हक़ सहर , हाजी सलामत राही, कर्म वीर सिंह (बिजनौर) सुशीला शर्मा, कमला शर्मा, विजया गुप्ता ,योगेन्द्र सोम, लईक अहमद ,समीर कुलश्रेष्ठ,डाॅक्टर आस मुहम्मद अमीन,जनाब तहसीन क़मर असारवी 

सुशील सिंह , कर्म वीर सिंह, योगेश सक्सेना,सुनीता मलिक सोलंकी आदि मौजूद रहे!


सचिव- सुनीता मलिक सोलंकी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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