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काव्य : वीरांगना - उमेन्द्र निराला ग्राम- हिंनौती, जिला- सतना


 काव्य : 

वीरांगना


 आन पड़ी जरुरत दोबारा, 

पुनः इतिहास दोहराएँगी।

और हालात पैदा न करना,

वीरांगना पैदा हो जाएँगी।


षड़यंत्र भरी नजरें तेरी,

छल करने को तैयार।

लाज की सीमा लाँघ गए तो,

झाँसी की रानी बन जाएँगी।


अबला के नाम पर छला जाना,

चाहे कुरीतियों के जंजीरों में बाँधने के प्रयास,

है मुझमे शक्ति, साहस,दृढ़निश्चय का बल,

भय का रूप धर अपना तेज़ दिखाएँगी।


शौर्य समर्पण वलिदान की,

गाथाएँ गूँजे हर मुँह बोल।

भूल गए जो इतिहास पुराना,

नया इतिहास बनाएँगी।


भीषण रण- युद्ध क्षेत्र में,

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हो या भारत की आजादी।

हर क्षेत्र में प्रमुखता प्रदान कर, 

अपनी श्रेष्ठता की पहचान कराएँगी।


 - उमेन्द्र निराला 

ग्राम- हिंनौती, जिला- सतना, मध्यप्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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