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काव्य : ग़ज़ल - विनय चौरे , इटारसी


 काव्य : 

ग़ज़ल 


नजर ए वयां कुछ कह गयी मुझसे,

पास होकर भी दूरी रह गयी मुझसे,


बारिश से बचने आसरा लिया था उसने,

दिल में रखकर विरह सह गयी मुझसे,


मेरे सहारे की आस लिए खड़ी थी,

दरिया किनारे थी दूर बह गयी मुझसे,


लकड़ी के सहारे दूसरे तट लग गयी,

साहिबा खातून दूर रह गयी मुझसे,


अब वो किसी सुल्तान की बेगम है, 

एक छत्र शोहरत बेतरह गयी मुझसे,


यहाँ सल्तनत सदा रही किसकी,

वह भी गुपचुप की तरह गयी मुझसे,


उसकी आँखों में 'विनय' तस्वीर तेरी,

मेरे ही हाथों मंजिल ढह गयी मुझसे।


   -   विनय चौरे  , इटारसी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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