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डॉ. कलाम – वह प्रकाश, जो युवा पीढ़ी को दिशा देता है -प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)


 

[प्रसंगवश – 15 अक्टूबर: डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जयंती]

डॉ. कलाम – वह प्रकाश, जो युवा पीढ़ी को दिशा देता है

[एक महान वैज्ञानिक, एक प्रेरक शिक्षक, एक जीवन दर्शन]

[कलाम जी की विरासत: पढ़ाई से प्रेरणा, ज्ञान से शक्ति]

       आकाश की अनंत ऊँचाइयों को छूने का साहस, ज्ञान की अथाह गहराइयों में उतरने की जिज्ञासा और राष्ट्र के प्रति अटूट निष्ठा – यही थे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, भारत के ‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’। 15 अक्टूबर, उनकी जयंती, महज एक तारीख नहीं, बल्कि एक प्रेरणा का उत्सव है, जो हमें उनके आदर्शों, सपनों और ज्ञान की अमर विरासत से जोड़ता है। महाराष्ट्र सरकार ने इस दिन को ‘रीडिंग इंस्पिरेशन डे’ घोषित किया है, ताकि उनकी पुस्तक प्रेम और ज्ञान की भूख की भावना नई पीढ़ी में जागे। यह पहल एक आयोजन से कहीं बढ़कर है – यह एक संदेश है कि पढ़ाई वह शक्ति है, जो सपनों को उड़ान देती है और राष्ट्र को नई दिशा।

डॉ. कलाम का जीवन एक प्रेरक गाथा है, जो साधारण शुरुआत से असाधारण उपलब्धियों का प्रतीक है। रामेश्वरम के एक साधारण परिवार में जन्मे, जहाँ उनके पिता नाविक और माँ गृहिणी थीं, संसाधनों की कमी ने कभी उनके सपनों को बंधन में नहीं बाँधा। बचपन में अखबार बाँटने से लेकर भारत के मिसाइल और अंतरिक्ष कार्यक्रमों का नेतृत्व करने तक, उनका सफर दर्शाता है कि दृढ़ निश्चय और मेहनत हर बाधा को परास्त कर सकती है। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो परिस्थितियों के सामने हार मान लेता है।

डॉ. कलाम का नाम भारत के वैज्ञानिक इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। इसरो और डीआरडीओ में उनके योगदान ने भारत को स्वदेशी मिसाइल प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में वैश्विक पहचान दिलाई। अग्नि, पृथ्वी और त्रिशूल जैसी मिसाइलों के विकास में उनकी भूमिका ने भारत को आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनाया। लेकिन उनकी महानता केवल तकनीकी उपलब्धियों तक सीमित नहीं थी। वे एक दूरदर्शी विचारक, लेखक और शिक्षक थे, जिनके लिए ज्ञान जीवन का आधार था। उनका विश्वास था कि पुस्तकें न केवल जानकारी देती हैं, बल्कि सृजनात्मकता, नैतिकता और जीवन के गहन दर्शन का द्वार खोलती हैं। उनका कथन, “सपने वो नहीं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें,” आज भी लाखों युवाओं को प्रेरित करता है।

‘रीडिंग इंस्पिरेशन डे’ के रूप में उनकी जयंती मनाना एक दूरदर्शी कदम है। यह दिन केवल पुस्तकों की ओर ध्यान खींचने का अवसर नहीं, बल्कि युवाओं में जिज्ञासा, अनुशासन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण जागृत करने का आह्वान है। डॉ. कलाम का जीवन सिखाता है कि पढ़ाई केवल डिग्री या नौकरी का साधन नहीं, बल्कि जीवन को समृद्ध करने और समाज को बदलने का उपकरण है। स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में इस दिन उनकी पुस्तकों जैसे विंग्स ऑफ फायर और इग्नाइटेड माइंड्स के साथ-साथ उनके भाषणों के माध्यम से युवाओं को प्रेरित किया जाता है। यह आयोजन बच्चों को समय प्रबंधन, निरंतर सीखने की आदत और नैतिकता का महत्व सिखाकर एक उज्ज्वल भविष्य की नींव रखता है।

डॉ. कलाम का जीवन अनुशासन और जिज्ञासा का अनुपम उदाहरण है। व्यस्त जीवन में भी वे सुबह जल्दी उठकर ध्यान करते, विचारों को कलमबद्ध करते और पुस्तकों में खो जाते। उनका विश्वास था कि छोटे-छोटे कदम, यदि सही दिशा में उठें, तो बड़े बदलाव लाते हैं। आज के युवाओं के लिए, जो त्वरित सफलता की चाह में धैर्य खो देते हैं, उनका यह संदेश अमूल्य है: सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं; यह कठिन परिश्रम, निरंतर सीखने और नैतिकता का फल है।

डॉ. कलाम का सपना केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों तक सीमित नहीं था; वे एक सशक्त, आत्मनिर्भर भारत की कल्पना करते थे। उनके लिए शिक्षा और विज्ञान का मकसद था समाज और राष्ट्र की सेवा। उनकी पुस्तकों और भाषणों में बार-बार यही गूंजता है कि युवा शक्ति देश की सबसे बड़ी ताकत है। उनका विश्वास, “2020 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बनेगा,” आज भी हमें सामूहिक और राष्ट्रीय सपनों के लिए प्रेरित करता है। युवाओं को सही दिशा मिले, तो भारत विश्व में नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है।

‘रीडिंग इंस्पिरेशन डे’ केवल पुस्तकें पढ़ने का अवसर नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और समावेशिता का प्रतीक है। साधारण पृष्ठभूमि से आए डॉ. कलाम ने कभी जाति, धर्म या क्षेत्र को अपनी राह में बाधा नहीं बनने दिया। उनकी जयंती हमें याद दिलाती है कि शिक्षा और ज्ञान सभी के लिए सुलभ होने चाहिए। यह आयोजन ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों तक पहुंचे, जहाँ पुस्तकों और संसाधनों की कमी है, ताकि हर बच्चे तक ज्ञान की रोशनी पहुँचे।

डॉ. कलाम की अनकही कहानियाँ भी उतनी ही प्रेरक हैं। राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी वे सादगी से जीते और बच्चों से मिलने के लिए हमेशा समय निकालते। स्कूलों में जाकर वे छात्रों को विज्ञान, नवाचार और सपनों के लिए प्रेरित करते। उनकी पुस्तक माय जर्नी में साझा बचपन की सादगी और संघर्ष हमें सिखाते हैं कि कठिनाइयों के बीच भी हिम्मत और मेहनत से बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।

15 अक्टूबर केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक संकल्प है। डॉ. कलाम का जीवन एक खुली किताब है, जिसका हर पन्ना प्रेरणा, अनुशासन और देशभक्ति की कहानी कहता है। ‘रीडिंग इंस्पिरेशन डे’ हमें सिखाता है कि पुस्तकें विचारों का खजाना हैं, जो सवाल उठाने की हिम्मत और समाज को बेहतर बनाने की प्रेरणा देती हैं। इस दिन हम प्रण लें कि हम न केवल अपने लिए पढ़ेंगे, बल्कि समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए ज्ञान अर्जित करेंगे।

डॉ. कलाम का सपना था एक ऐसा भारत, जो विज्ञान, शिक्षा और नैतिकता में विश्व का नेतृत्व करे। यदि हर युवा उनकी तरह जिज्ञासु, अनुशासित और राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित बने, तो उनका सपना साकार होगा। यह दिन हमें यही संदेश देता है: पढ़ो, सीखो, सपने देखो और भारत को नई ऊँचाइयों तक ले जाओ।

  -  प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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