वर्ष 2025 : जब भारत ने प्रतिक्रिया नहीं, दिशा दी
[भारत: परिस्थितियों से नहीं, संकल्प से संचालित राष्ट्र]
[वर्ष 2025: संकटों के बीच उभरा भारत का आत्मविश्वासी महायुग]
• प्रो. आरके जैन “अरिजीत”
वर्ष 2025 भारत के इतिहास में एक ऐसे निर्णायक मोड़ के रूप में अंकित हुआ, जहाँ अंधकार, संकट और षड्यंत्रों के बीच राष्ट्र ने अपनी आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास का विराट प्रदर्शन किया। यह वर्ष केवल चुनौतियों का नहीं, बल्कि उनके उत्तर देने की भारतीय क्षमता का प्रतीक बना। आतंकवाद की क्रूर घटनाएँ, जलवायु परिवर्तन की भयावह मार और वैश्विक अस्थिरता—इन सबने देश की परीक्षा ली। किंतु भारत विचलित नहीं हुआ। उसने साहस, विज्ञान, नीति और संकल्प के सहारे हर मोर्चे पर जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर की निर्णायक कार्रवाई, नवीकरणीय ऊर्जा में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ और रक्षा आत्मनिर्भरता की ठोस प्रगति ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब प्रतिक्रिया देने वाला नहीं, दिशा तय करने वाला राष्ट्र बन चुका है। 2025 ने सिद्ध किया कि भारत संकटों को बोझ नहीं, अवसर में बदलने की क्षमता रखता है।
आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में 2025 एक कठोर लेकिन निर्णायक वर्ष रहा। अप्रैल में पहलगाम की बैसारन घाटी में हुए नृशंस आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया, जहाँ निर्दोष पर्यटकों की हत्या ने मानवता को शर्मसार किया। इसके बाद नवंबर में दिल्ली के लाल किले के निकट कार बम विस्फोट ने राजधानी की सुरक्षा को चुनौती दी। इन घटनाओं ने एक बार फिर पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद के असली चेहरे को उजागर किया। परंतु भारत ने शोक को शक्ति में बदला। मई में प्रारंभ हुआ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकल्प का उद्घोष था। पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक प्रहार कर भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि अब सहनशीलता नहीं, निर्णायक प्रतिकार होगा। स्वदेशी हथियारों और उन्नत खुफिया तंत्र ने इस अभियान को ऐतिहासिक बना दिया।
नक्सलवाद के विरुद्ध भी वर्ष 2025 निर्णायक सिद्ध हुआ। वर्षों से विकास को बाधित कर रहे उग्रवादी नेटवर्क पर व्यापक और सुनियोजित कार्रवाई की गई। सुरक्षा बलों के संयुक्त अभियानों में अनेक दुर्दांत नक्सली मारे गए या आत्मसमर्पण को विवश हुए। प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल सेवाओं का विस्तार हुआ, जिससे स्थानीय जनता का विश्वास लोकतांत्रिक व्यवस्था में मजबूत हुआ। सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति केवल नारा नहीं रही, बल्कि ज़मीन पर परिणाम देती दिखाई दी। आतंक और उग्रवाद के विरुद्ध यह स्पष्ट हो गया कि भारत अब रक्षात्मक मुद्रा में नहीं, बल्कि रणनीतिक बढ़त की स्थिति में है। राष्ट्र की सुरक्षा अब केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि विचारधारा और व्यवस्था दोनों स्तरों पर सुदृढ़ हुई है।
जलवायु परिवर्तन ने 2025 में अभूतपूर्व विनाश के रूप में दस्तक दी। वर्ष के लगभग पूरे कालखंड में चरम मौसमी घटनाएँ दर्ज की गईं—भीषण गर्मी, विनाशकारी बाढ़, चक्रवात और आकाशीय बिजली ने 4,419 से अधिक जानें लीं और करोड़ों लोगों को प्रभावित किया। उत्तर-पश्चिम भारत में तापमान 50 डिग्री के पार चला गया, जबकि कई राज्यों में बाढ़ से व्यापक विस्थापन हुआ। 17.4 मिलियन हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुईं, जिससे खाद्य सुरक्षा पर दबाव बढ़ा। यह संकट केवल प्राकृतिक नहीं था, बल्कि वैश्विक स्तर पर विकसित देशों द्वारा किए गए अत्यधिक उत्सर्जन का परिणाम भी था। इसके बावजूद भारत ने पीड़ित की भूमिका नहीं अपनाई, बल्कि समाधानकर्ता की भूमिका निभाई। आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास में अभूतपूर्व समन्वय देखने को मिला।
इसी चुनौती के बीच भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा गैर-जीवाश्म स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य भारत ने 2025 में ही हासिल कर लिया। सौर और पवन ऊर्जा में रिकॉर्ड वृद्धि हुई और अकेले एक वर्ष में लगभग 50 गीगावॉट क्षमता जोड़ी गई। राजस्थान और गुजरात वैश्विक स्तर के सौर ऊर्जा केंद्र के रूप में उभरे। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने जलवायु न्याय की आवाज बुलंद की और विकसित देशों से वित्तीय व तकनीकी सहयोग की मांग दोहराई। भारत ने यह सिद्ध किया कि विकासशील राष्ट्र भी पर्यावरणीय नेतृत्व कर सकते हैं। हरित हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और ऊर्जा भंडारण में निवेश ने भविष्य की नींव मजबूत की।
रक्षा क्षेत्र में 2025 आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना का स्वर्णिम अध्याय बनकर उभरा। रक्षा बजट ऐतिहासिक रूप से 6.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचा, जिसमें अधिकांश राशि स्वदेशी खरीद के लिए निर्धारित की गई। पाँचवीं पीढ़ी के स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर एएमसीए (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) को मंजूरी मिली, वहीं आकाश-एनजी और ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात ने भारत की वैश्विक साख बढ़ाई। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी तेज हुई और रक्षा उत्पादन 1.60 लाख करोड़ रुपये के पार पहुँचा। निर्यात लगभग 23,000 करोड़ तक पहुँचना इस बात का प्रमाण है कि भारत अब आयातक नहीं, बल्कि विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता बन रहा है। इससे रोजगार सृजन हुआ और सीमाओं की सुरक्षा और अधिक अभेद्य बनी।
आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर भी 2025 उपलब्धियों से भरा रहा। प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की सहभागिता ने सांस्कृतिक एकता और संगठन क्षमता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गौरव बढ़ाया। राजनीतिक स्थिरता ने नीतिगत निरंतरता सुनिश्चित की, जिससे सुधारों को गति मिली। जीएसटी प्रणाली में सुधार, श्रम कानूनों का सरलीकरण और सेमीकंडक्टर उद्योग में निवेश ने आर्थिक आधार को मजबूत किया। यद्यपि एविएशन क्षेत्र और प्रदूषण जैसी चुनौतियाँ बनी रहीं, फिर भी भारत की जीडीपी वृद्धि दर विश्व में अग्रणी रही। डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप संस्कृति और ग्रीन हाइड्रोजन मिशन ने लाखों नए अवसर पैदा किए।
समग्र रूप से 2025 यह संदेश देता है कि भारत विपत्तियों से भयभीत होने वाला राष्ट्र नहीं है। वह संकटों को आत्ममंथन, सुधार और प्रगति के अवसर में बदलना जानता है। पहलगाम की पीड़ा से लेकर ऑपरेशन सिंदूर की दृढ़ता तक, जलवायु संघर्ष से लेकर ऊर्जा क्रांति तक और रक्षा आत्मनिर्भरता से लेकर सामाजिक एकता तक—हर क्षेत्र में भारत की चेतना जाग्रत दिखाई दी। महाकुंभ की सामूहिक शक्ति और तकनीकी उन्नति की गति ने यह सिद्ध किया कि देश का संकल्प अडिग है। भविष्य की राह कठिन हो सकती है, पर दिशा स्पष्ट है। भारत अब सोया हुआ नहीं, बल्कि जागृत शेर है—जो आत्मविश्वास, साहस और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है।
- प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)
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