काव्य :
क्या कहे प्यार को
सब बेवफा हुए गर्दिश ए आलम,
मेरे नसीब ने जरा सी करवट ली,
अब खांसी आ जाए,
सब हाल पूछने लगे मेरा,
वो हमेशा दरवाजा बंद किया करते थे,
जब हम गुरबत में जिया करते थे,
अब हम उन्हें बहुत याद आने लगे,
हमें यहाँ तक आने में जमाने लगे,
अब बेबस हुई मोहब्बत,
नसीब अपना -अपना,
पहले तो जरा सा देख लेने में,
खुशी में पूरा दिन गुजार देते थे,
सान से बनाई,
बालू भी मोड़ देती है,
खंजर की धार को,
कसम से क्या कहें प्यार को,
- विनय चौरे , इटारसी
सान- चाकू, उस्तरा, खंजर आदि में धार लगाने के लिए उपयोगी पत्थर।
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